Saturday 14 April 2018

A Cotton Thread

हुआ है रुआँ सा,
रुई का रेशा,
कहे है खुदको,
चाँद का हिस्सा,
फिरे है गाता खुदका किस्सा,

तम से कटा है,
फलक से गिरा है,
फ़िज़ा से बिखरके,
फ़िदा हुआ है,

ज़ख्म से दर्द को सौख रहा है,
नींद बनके साथ सौ रहा है,
काजल पहुँचके,
लोचन रुआँ सा कर रहा है,
है दाग चाँद का,
गाता फिर रहा है,

हुआ है रुआँ सा,
रुई का रेशा |

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