Tuesday 20 December 2016

let heart concentrate

मन रे,
मेरे मन की न करो
लगने दो जिया मेरा कहीं तो,
युहीं रह जाएंगे नहीं तो,
दूर से देखते चाँद को,


मिर्ज़ा आएंगे कभी तो,
होकर हुनर पर फ़िदा मेरे वो,
नादिर से लेके कोहिनूर को,


मन रे,
साँसों में ऐसी आसें न भरो,
मन रे,
मेरे मन की न करो,
लगने दो जिया मेरा कहीं तो,

Thursday 25 August 2016

midnight thoughts

इतने अलफ़ाज़  नहीं,मेरे ज़खीरा-ऐ-अलफ़ाज़ में,
कि  तुम्हारी  तारीफ कर सकें, और उनकी निंदा,

Monday 28 March 2016

Delhi... Dil-hi


ये हौज़ ख़ास, ये सीपी, ये मीनार क़ुतुब की,

ये किला लाल, ये फूल कमल का,

ये लुटयंस के बंगलो,

ये हुमायूं का मकबरा,

ये महरौली से जाती हुई सड़कें,

ये गुडगाँव की गगनचुम्बी अटरिया,

फरीदाबाद का इंडस्ट्रियल कारोबार,

नॉएडा का एक्सप्रेसवे और बुध रेस सर्किल,

ये खान मार्किट,ये माल,

ये पीतमपुरा का दिल्ली हाट,

सिंगल स्क्रीन थिएटर्स की ठाट,

मल्टीप्लेक्सेज की रंगीनिया,

ये जेएनयू कि बातों की बारीकियां,

नार्थ कैंपस की बोलियां,

ये सात रेस कोर्स की कोशिशें,

एक सशक्त आत्म निर्भर राष्ट्र निर्माण की,

मेट्रो से जुड़ा है हर तरीके का दिल,



ये निज़ाम की दरगाह, खुसरो की कवालियां,

तुग़लकाबाद की आधी जुडी सीढ़ियां,

ये सीसगंज, बांग्ला साहिब,

भैरव मंदिर, दादा बाड़ी,

लाजपत, सरोजनी, कमला,

फैशन परस्त शाहपुर जाट,

ये फतेहपुर के फार्म्स,शालीमार गार्डन्स,

जोरबाग, पंजाबी बाघ, करोल बाघ,

कैलाश कॉलोनी, लोदी कॉलोनी,



और मेरा प्यारा दरयागंज,

शांतिवन, राजघाट और,

अम्बेडकर यूनिवर्सिटी से

एकदम सामान दुरी पर स्तिथ,

ये सबका सब यही रहेगा,दौड़ता- सुस्ताता,

हम ही आते जाते रहेंगे बस,

आखिर आशिक़ ही आया करते है मेहबूब से मिलने- जुलने,