Saturday 17 November 2012

kagaz ka aashiq...

Wo kaagaz ka aashiq hai,
Kalam se ishq karta hai,
Syaahi se mere badan pe ishq likhta hai,

Silvatein khaati hai meri rooh,
Wo rooh utarke likhta hai,
Kaafi hai uski aankhein,
Wo mujhe kuch iss kadar dekhta hai,

Friday 2 November 2012

कंडक्टर हूँ मैं। क्या समझे।

रे टिकेट ले ले  रे,
रे टिकेट ले ले रे,
जे भी कोई पकड़ा गया पिटेगा रे,
जुर्माना भरेगा रे,
ताऊ छोरी  को यूँ न घूरे रे,
शहर की है ये, 
धर जावेगी रे,

डट जा, पाछे न बैठ जा रे,
आंखां न मटक रे,
छाती पर ही चडेगा के,
खिड़की न बंद करले रे,
खिड़की न बंद करले रे,
ऊँगली कट जावेगी, 
ऊँगली कट जावेगी रे,

इस रास्ते से जावेगी आ मैडम,
लुटेगी रे, लुटेगी रे,
छूटेगी रे, नौकरी छूटेगी रे,

ड्राईवर भगा ले रे,
मोड़ से मुड़ा  ले रे,
वर्ना, चालान  कमरिया,
चढ़  जावेगी रे,
चढ़ जावेगी रे,

ताऊ उमरिया धोती मैं धर ले रे,
अब मेरी बारी है रे,

रे टिकेट ले ले रे,
रे टिकेट ले ले रे,