हुस्न जहाँ का
है, रूह खुदा
की है,
हम हुस्न से काम
चला लेंगे,
शामियाने में जो
महफ़िल सजी है,
हम बेईज्ज़ती से इज्ज़त
कमा लेंगे,
आज, तमीजदारों के शौक़
पूरे करने दो,
लगे तीर भी
कोई तो बदन
पे लगने दो,
छल्ली हो जाए
चाहे हिस्सा हिस्सा,
रूह को एक न लगने
दो,
रूह खुदा की
खातिर कुर्बान होने
दो,
P.S. Image Source Deviantart.com

No comments:
Post a Comment