Monday 28 May 2012

एक गुलाब गिरा पड़ा है ....


 (Synopsis: The state of country, and what Pandit Jawaharlal Nehru wanted it to be, His dreams are being drunk by us, This poem shows that and prays you to stop that....)

एक  गुलाब  गिरा  पड़ा  है ,
सूख  कर  काँटा  हो  चूका  है ,
उठा  लो  कि  अब  उड़  न  जाए  कहीं ,
जो  भी  बचा  कुछा  है ,

जब  खिला  करता  था ,
तब  महकता  था ,
महकाता  हुआ   उपवन ,
अब  महक  अपनी  ढूंढ  रहा  है ,

की  लौटा  दो  इसे   वो   बाग़ ,
वो  पेड़ , जो  इसका  था ,
अपने  सुर्ख  लाल  रंग  से  इसने  रंग  था ,
ये  रो  रो  के ,
खून  बहा  रहा  है ,

एक  गुलाब  गिरा  पड़ा  है ….
एक  गुलाब  गिरा  पड़ा  है …

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