Photography by Shivam Chitkara......Poetry by Amit Saini
इन्ही दीवारों पे हवाओं से मैंने,
थोड़े धुप के छीटों से,
शाम और सूरज की वो,
सुर्ख मुलाकात लिखी है,
जब शाम,
अपनी नीमबाज़ आँखों से देखते हुए,
सूरज को अपनी गोद में सुलाती है,
फिर एक चादर ओढ़ के,
चाँद के तकिये पे सर रख के,
साथ सो जाती है,चाँद के तकिये पे सर रख के,
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