जो भी है यहाँ अपने
उन सबको मैं भुला दूँ
खाली बोतल में क़ैद सपने
सारे यहीं बहा दूँ - 2
बेफिक्र राहों में बढ़ते हुए
फिजा की बाहें पकड़
आसमान के सब तारे छूते हुए
रफ्तारें भरते हुए
हम चल दिए ...
जो भी यहाँ रंग बिखरे
उनसे मैं खुद को रंगलूं
रोशन जुगनू की इक पल की रौशनी
आँखों में भरलूं
नज़रें देखती हैं जो
वहां से दूर
क़यामत के सारे अजूबे
तूफानों का ताज छीनते हुए
पर्बतों को गिराते हुए
हम चल दिए ..
हम चल दिए ..
हम चल दिए ...
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