एक  गुलाब  गिरा  पड़ा  है ,
सूख  कर  काँटा  हो  चूका  है ,
उठा  लो  कि  अब  उड़  न  जाए  कहीं ,
जो  भी  बचा  कुछा  है ,
जब  खिला  करता  था ,
तब  महकता  था ,
महकाता  हुआ   उपवन ,
अब  महक  अपनी  ढूंढ  रहा  है ,
की  लौटा  दो  इसे   वो   बाग़ ,
वो  पेड़ , जो  इसका  था ,
अपने  सुर्ख  लाल  रंग  से  इसने  रंग  था ,
ये  रो  रो  के ,
खून  बहा  रहा  है ,
एक  गुलाब  गिरा  पड़ा  है ….
एक  गुलाब  गिरा  पड़ा  है …

 
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