बादलों की दिलेरी देखिये,
आज अँधेरे से दोस्ती करके,
खुद काले रंग में रंगके,
हर चेहरे पे ख़ुशी खिला गए,
हर सोये फूल को जगा गए,
झूटी सफेदी के परचम को फाड़ के...
काली स्याही से मोहब्बत की लकीरें खींच गए,
आनन् फानन, हैरत, हैरानियत में लोग भागे,
चीखे चिल्लाये दबी हुई आवाजें निकालते,
ज़र्रे ज़र्रे में जान फूंकते,
बादलों की दिलेरी देखिये..,
बेमौसम, मौसम बना गए,
देखते रह गए पहरेदार,
हवाओं को धुप की सलाखों से छुड़ा ले गए....
बादलों की दिलेरी देखिये.....
No comments:
Post a Comment