Monday, 22 June 2015

तीन

उफान खाता समुद्र,
 थकान ग्रस्त नाविक दल,
नेतृत्व की  तांक में,
तूफ़ान आता देखकर


पंखा गिरेगा सोते सूरज पर,
बुझ जाएगा ये कल तक,
आओ इसका यश चुराले,
कहलायेंगे हम फिर कल के सूरज

खुद को इतना ख़ास समझो,
की हर गाली पर आंसू छलके,
ये खेल है वही बचपन का,

बस तू खिलौना है अब प्रिय