उफान खाता समुद्र,
थकान ग्रस्त
नाविक दल,
नेतृत्व की
तांक में,
तूफ़ान आता देखकर
।
पंखा गिरेगा सोते सूरज
पर,
बुझ जाएगा ये कल
तक,
आओ इसका यश
चुराले,
कहलायेंगे हम फिर
कल के सूरज
।
खुद को इतना
ख़ास न समझो,
की हर गाली
पर आंसू छलके,
ये खेल है
वही बचपन का,
बस तू खिलौना
है अब प्रिय
।