हुआ नौजवान ठंडा,
शरबत पियो मोहब्बत का,
कीलों पे चढ़ गयी काबिलियत,
हफ्ते भर का काम, साल भर का,
बर्बादी आबादी के बाद ही आती है,
बूढा तारे नहीं देखता,
जवान मेरे, पतंग को जाने दे,
पतंगें, पकड़ आ,
जा, तू पार्लियामेंट होके आ,
देख ज़रा, सच में भिड़ पड़े है क्या,
भोंकने कि आवाज़ें तो आयी थी,
साला दूर से कुछ नहीं दिखता |